भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) ने मुंबई में 8वां वैश्विक औषध गुणवत्ता सम्मेलन आयोजित किया। 2 दिन के इस सम्मेलन में दवा निर्माण से जुड़ी प्रमुख हस्तियों, नियामकों और विशेषज्ञों ने रोगियों को ध्यान में रखते हुए भारत में दवा निर्माण को नया रूप देने पर चर्चा की गई।

वैश्विक औषध गुणवत्ता सम्मेलन में भारतीय टीकों की प्रशंसा

इस सम्मेलन में रसायन और उर्वरक तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने बताया कि भारत ने कोरोना महामारी के समय में पूरे विश्व को स्तरीय दवाओं और टीकों की निर्बाध आपूर्ति कर विश्व समुदाय के लिए औषधालय की भूमिका निभाई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय औषध उद्योग ने गुणवत्ता और मात्रा, दोनों की दृष्टि से अपनी क्षमता साबित की है। कोविड के दौरान भारत ने अपने नागरिकों के साथ 150 अन्य देशों को टीके उपलब्‍ध कराए और किसी भी देश ने भारतीय टीकों की गुणवत्ता को लेकर कोई शिकायत नहीं की है।

मांडविया ने कहा कि अब पूरा विश्व चाहता है कि भारत दवाओं और टीकों का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि इस समय गुणवत्ता, अनुसंधान एवं विकास और नवाचार समय की मांग है। हमें अपनी ब्रांड शक्ति और जनशक्ति का उपयोग कर इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। 

भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) के बारे में

भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) की स्थापना वर्ष 1999 में मुंबई में हुई थी। यह एक राष्ट्रीय निकाय है जो उद्योग, शिक्षा, नियामक, अस्पताल और सामुदायिक फार्मेसी के 1 मिलियन से अधिक फार्मासिस्ट और फार्मास्युटिकल वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करता है। यह देश की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम करता है। IPA, 24 अनुसंधान-आधारित राष्ट्रीय दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अंतर्गत आने वाली कंपनियां देश के फार्मास्युटिकल अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र के निवेश में 85% से अधिक का योगदान देती हैं।

आईपीए भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) का सदस्य है। आईपीए को इंडियन एसोसिएशन कांग्रेस द्वारा “सर्वश्रेष्ठ व्यावसायिक संगठन पुरस्कार -2015” से सम्मानित किया गया है।

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